
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने 3 जून 2025 को इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) जीतकर 18 वर्षों की प्रतीक्षा समाप्त की। इस महत्वपूर्ण जीत के बाद बेंगलुरु में एक भव्य विजय परेड हुई। हालाँकि, बेंगलुरु पुलिस की स्पष्ट आपत्तियों के बावजूद यह परेड आयोजित की गई, जिसके परिणामस्वरूप दर्जनों लोग घायल हो गए और 11 लोग मर गए। इस घटना ने सवाल उठाया कि क्या कोई उत्सव मानव जीवन से अधिक महत्वपूर्ण है?
पुलिस की विरोध प्रक्रिया और आयोजकों की प्रतिक्रिया
बेंगलुरु पुलिस ने पहले ही इस परेड की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, क्योंकि इतने बड़े जनसमूह को नियंत्रित करना मुश्किल होगा और सुरक्षा के लिए जोखिम बढ़ सकते हैं। पुलिस ने सुझाव दिया कि परेड को सप्ताहांत में किया जाए, ताकि सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर तरीके से संभाला जा सके।
RCB प्रबंधन और राज्य सरकार ने इस सुझाव को खारिज करते हुए परेड को अगले दिन ही करने का फैसला किया। इसका एक कारण बताया गया था कि विदेशी खिलाड़ी जल्द ही देश छोड़ने वाले थे, इसलिए उनके साथ परेड करना था।

परेड का आयोजन और दुर्घटना
RCB की जीत का जश्न मनाने के लिए बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हजारों प्रशंसक एकत्र हुए। इसके बावजूद, भीड़ नियंत्रण के लिए आवश्यक प्रबंधन और योजनाओं की कमी थी। बड़ी संख्या में लोग एक छोटे से गेट से अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे, जिससे भगदड़ मच गई।
इस भगदड़ में ग्यारह लोग मारे गए और पच्चीस से अधिक घायल हो गए। एक महिला और एक किशोर भी मर गए।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और आरोप
विपक्षी पार्टियों ने घटना के बाद कांग्रेस-नीत कर्नाटक सरकार पर आरोप लगाया कि उसने इसे बिना पर्याप्त योजना बनाए और पुलिस के साथ समन्वय के किया, जिससे यह दुर्घटना हुई। भाजपा और जेडी(एस) नेताओं ने इस घटना की न्यायिक जांच की मांग की और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
वहीं, उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने कहा कि 1 लाख लोगों का आयोजन किया गया था, लेकिन 4 लाख से अधिक लोग आए, जिससे हालात नियंत्रण से बाहर हो गए।
आयोजकों के खिलाफ कानून
RCB, कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (KSCA) और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी DNA Entertainment Network पर आपराधिक लापरवाही का मामला क्यूबन पार्क पुलिस स्टेशन पर दर्ज किया गया था। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से भी इस घटना की स्थिति का विवरण मांगा है।
सामाजिक और नैतिक समस्याएं
इस दुर्घटना ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या किसी भी उत्सव को मानव जीवन से अधिक महत्व देना संभव है? क्या पुलिस की चेतावनियों को नजरअंदाज करके आयोजकों को यह कार्यक्रम करना चाहिए था? क्या प्रशंसकों की सुरक्षा उनकी जिम्मेदारी नहीं थी?
3 जून को आरसीबी ने चैंपियनशिप जीता और 4 जून को दोपहर में परेड हुई। पुलिस-प्रशासन को बहुत कम समय में तैयारी करनी पड़ी, इसलिए परेड को अफरा-तफरी में करना पड़ा। जीत की खुमारी, जो 3 जून की रात को चढ़ी थी, उतरने का समय भी नहीं मिला था, इसलिए परेड हुई। लोगों की भावनाएं उफान पर थीं, इसलिए बिना योजना के उन्हें नियंत्रित करना असंभव था। बेंगलुरु पुलिस ने आरसीबी फ्रेंचाइजी और राज्य सरकार को बताया कि अभी परेड नहीं करना चाहिए क्योंकि यह सुरक्षा के दृष्टिकोण से अनुचित है।
लेकिन पुलिस की चेतावनी को अनदेखा कर विकीट्री परेड कर दी गई, जिससे दुर्घटना हुई। आरसीबी ने कहा कि विदेशी खिलाड़ी जश्न को कुछ दिन बाद करने से नहीं रूकेंगे, इसलिए उन्हें अपने देश वापस जाना होगा, डेक्कन हेराल्ड ने बताया। बिना सुरक्षा जांच के, राज्य सरकार ने भी जश्न मनाया। पुलिस ने सुझाव दिया था कि जश्न को एक निश्चित स्थान तक सीमित करना चाहिए और उसे कम से कम रविवार तक स्थगित करना चाहिए, लेकिन इसकी सुनवाई नहीं की गई।