The guy who informed ISI about Operation Sindoor was detained by Haryana Police when anti-national acts were revealed.

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देवेंद्र सिंह पंजाब के एक कॉलेज में राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री प्राप्त कर रहे थे। नवंबर 2024 में उसकी ननकाना साहिब गुरुद्वारे की यात्रा के दौरान पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के एजेंटों से मुलाकात हुई थी।

गुरुग्राम, हरियाणा राज्य— पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी ISI को ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी गोपनीय जानकारी देने के आरोप में हरियाणा पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार करके भारत की सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी सफलता मिली। राष्ट्रीय सुरक्षा बलों को भी हिला कर रख दिया गया है, क्योंकि यह गिरफ्तारी राष्ट्र-विरोधी गतिविधि के तहत हुई थी।

क्या ऑपरेशन सिंदूर है?

ऑपरेशन सिंदूर, भारतीय सेना का एक बहुत निजी सामरिक अभियान है, जिसका लक्ष्य सीमाई क्षेत्रों में भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करना है। सैन्य अधिकारियों और उच्च सुरक्षा अधिकारियों तक ही इस ऑपरेशन की जानकारी थी।

हालाँकि अभी तक पूरा ऑपरेशन गोपनीय नहीं किया गया है, सूत्रों का कहना है कि यह भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट एक संवेदनशील क्षेत्र में शुरू किया गया था।

पकड़ा गया आरोपी कौन है?

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आरोपी पर लगाए गए आरोपों में से एक:

भारतीय सैन्य गतिविधियों की गोपनीय सूचना जुटाना

पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े संवेदनशील डेटा भेजना

गुप्त ISI संस्थाओं से संपर्क रखना

धन के बदले देश की गोपनीयता से खिलवाड़

जांच एजेंसियों ने महत्वपूर्ण खुलासा किया

हरियाणा पुलिस ने कहा कि आरोपी पिछले कुछ हफ्तों से गुप्त निगरानी में था। वह एक संदिग्ध ईमेल के माध्यम से सैटेलाइट इमेज और दस्तावेज़ भेजने की कोशिश कर रहा था, जब पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो ने एक संयुक्त अभियान के तहत उसे गिरफ्तार किया।

यह एक बहुत संवेदनशील मामला है, जिसमें देश की सुरक्षा का खतरा था। हरियाणा पुलिस ने कहा कि वे इसके पीछे की जांच कर रहे हैं और इसमें कौन-कौन लोग शामिल हैं।

कैसे पकड़ लिया गया? – तकनीक का उपयोग

साइबर फॉरेंसिक यूनिट और इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस यूनिट ने इस गिरफ्तारी में महत्वपूर्ण योगदान दिया। साजिश का पता लगाने के लिए आरोपी की लोकेशन, मोबाइल ट्रैफिक, ईमेल ट्रैकिंग और WhatsApp चैट का विश्लेषण किया गया।

सीसीटीवी फुटेज से घटना की पुष्टि

ISI से संपर्क का ईमेल प्रमाण

पेमेंट ट्रांजैक्शन से विदेशी लिंक

देशद्रोह और जासूसी विरोधी कार्रवाई

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 121 (राष्ट्र के खिलाफ युद्ध), 123 (देशद्रोह की तैयारी में सहायता) और 1923 के आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (Official Secrets Act) के तहत फिरोज अली खान पर मामला दर्ज किया गया है।

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) भी इस मामले में शामिल हो सकता है, जो बिना जमानत के आरोपी को लंबे समय तक हिरासत में रख सकता है।

🇮🇳 देशव्यापी सुरक्षा बलों की सक्रियता

राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियाँ (RAW, NIA और IB) भी इस गिरफ्तारी के बाद इस मामले की तह तक जाने में लगी हुई हैं। सूत्रों का मत है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति की साजिश नहीं, बल्कि एक बड़े जासूसी रैकेट का हिस्सा हो सकता है।

बंदूकों से नहीं, जानकारी से भी देश की सीमाएं सुरक्षित हैं। इस गिरफ्तारी से पता चलता है कि खतरा अब भी अंदर से हो सकता है। “– वरिष्ठ रक्षा अधिकारी

पाकिस्तान और ISI का योगदान

Inter-Services Intelligence (ISI) पाकिस्तान की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी है, जो भारत के खिलाफ साइबर जासूसी और मानव स्रोतों के माध्यम से जानकारी एकत्र करने में लंबे समय से शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में ISI के कार्य अब डिजिटल रूप से बढ़ रहे हैं।

इस मामले में सामने आए तथ्यों से स्पष्ट होता है कि ISI ने भारत में ऐसे लोगों को लक्षित किया जो आर्थिक रूप से कमजोर थे या जिनके पास सैन्य अधिकार थे।

समाज और चिंता

भारतीय नागरिकों के मन में इस गिरफ्तारी से यह प्रश्न उठने लगा है:

देश के प्रत्येक नागरिक पर भरोसा किया जा सकता है?

क्या संवेदनशील डेटा लीक इतनी आसानी से हो सकता है?

क्या रक्षा कर्मचारियों और ठेकेदारों की पृष्ठभूमि पर्याप्त रूप से जांची जाती है?

यह घटना देश की आंतरिक सुरक्षा को बताती है कि खतरों की प्रकृति बदल रही है।

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