
एक इंजीनियरिंग चमत्कार: परिचय
भारत की रेलवे नेटवर्क को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाने में हाल ही में पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है चिनाब रेलवे ब्रिज (Chenab Bridge)। यह पुल दुनिया का सबसे ऊँचा रेल पुल होकर इतिहास रच चुका है, जिसकी ऊँचाई 359 मीटर है—प्रसिद्ध एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ऊँचा! इस ऐतिहासिक परियोजना में सबसे अहम योगदान देने वाली हैं डॉ॰ जी. माधवी लता (Dr. G. Madhavi Latha), जिन्होंने पूरे 17 वर्षों तक इस परियोजना को जमीनी रूप देने में लगे रहे।
.डक्टेन्चाब ब्रिज – भारत की नई पहचान
चिनाब रेलवे ब्रिज जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में Chenab नदी पर बना है। यह पुल 1127 मीटर लंबा, steel–concrete deck arch bridge है, जिसकी स्पैन लंबाई 467 मीटर है और में कुल 17 स्पैन बने हैं। इसे पूर्ण रूप से 6 जून 2025 को प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी द्वारा चालू किया गया।
इस पुल को बनाने के पीछे हिंदी के अलावा कई मुख्य तकनीकी संस्थाओं का योगदान रहा, जैसे:
- IISc Bengaluru (Geotechnical विशेषज्ञता)
- IIT Madras, DRDO, GSI, और WSP Finland
- Konkan Railway Corporation द्वारा परियोजना का कार्यान्वयन
यह पुल काल्पनिक भूगर्भ-भूमि, भूकंपीय क्षेत्र (Zone V), तीव्र मौसम और विस्फोटक सुरक्षा जैसी चुनौतियों को सहते हुए डिजाइन और निर्मित किया गया है। इसे 40 टन TNT शक्ति तक के ब्लास्ट और रिच्टर पैमाने पर 8.0 भूकंप तक टालने की क्षमता दी गई है।
.कौन हैं डॉ. जी. माधवी लता?
👩🔬 पेशेवर पृष्ठभूमि
- डॉ. जी. माधवी लता (G. Madhavi Latha) भारतीय संस्थान IISc Bengaluru की नागरिक इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर एवं “जनरल इंजीनियरिंग फॉर सस्टेनेबल टेक्नोलॉजीज़” के चेयर हैं।
- उन्होंने IIT Madras से सिविल इंजीनियरिंग में Ph.D. की डिग्री ली और IIT Guwahati में एक साल तक एसिस्टेंट प्रोफेसर रहीं।
अनुसंधान और उपलब्धियाँ
- विशेषज्ञता: Geotechnical engineering, earthquake geomechanics, rock engineering
- सेवानिवृत्त Editor-in-Chief, Indian Geotechnical Journal
- कई प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सक्रिय सदस्यता: ISSMGE, IGS, आदि
पुरस्कार–सम्मान
- Best Woman Researcher in Geotechnical Engineering (Indian Geotechnical Society)
- Prof. S. K. Chatterjee Outstanding Researcher – IISc
- IIST Woman Achiever Award (Karnataka Book of Records)
- SERB POWER Fellowship, आदि
Chenab Bridge पर विशिष्ट योगदान

डॉ. लता ने पुल के गिरोहणी इलाकों की स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी, स्लोप जम्पNenment, foundation reinforcement आदि में मार्गदर्शन और डिजायन सहायता प्रदान की। उनके गहरे भू-तकनीकी शोध ने इन्हें इस परियोजना का मस्त प्रमुख बना दिया।
चुनौतियाँ और संघर्ष
- भूगर्भीय जटिलता: पहाड़ी क्षेत्र की चट्टानों की पहचान और स्थिरता अध्ययन डॉ. लता के जिम्मे थे।
- भूकंपीय सक्रिय क्षेत्र में पुल का निर्माण
- सामरिक सुरक्षा: DRDO और GSI के साथ महासामरिक ब्लास्ट-प्रूफिंग योजनाओं का विकास
इन्हीं तकनीकी चुनौतियों को संभालते हुए उन्होंने अपने परिवार का बलिदान भी दिया— कई बार उनका घर पर समय भी सीमित हो गया।
17 वर्षों की सेवा में समर्पित
पहाड़ी स्थिरीकरण, 2005 से नियमित साइट विज़िट्स
बहु-वार्षिक मॉडल टेस्टिंग, डिजाइन रिव्यु और गणितीय विकास में सक्रिय भागीदारी
डॉ. लता ने कहा:
“कई बार निचले इलाकों की कठोर वास्तविकता मुझे चौंकाती है।”— इसलिए उन्हें हर दिन चुनौतियां मिलीं
समाज और सुरक्षा पर प्रभावी प्रभाव
पुल से जुड़े गाँव-कस्बों में इमरजेंसी कनेक्टिविटी बढ़ी है
प्राकृतिक आपदाओं में अब तुरंत चिकित्सा सहायता उपलब्ध है
यह परियोजना करीब 111 किमी की Jammu-Banihal रेल कड़ी में बदल गई, जो ग्रामीण विकास का संकेत है।
चिनाब ब्रिज: तकनीकी विशेषताएँ
सामग्री: 28,660 टन स्टील, प्रबलित कंक्रीट
भूकंपीय तैयारी: 8.0 रिच्टर तक

विस्फोट सुरक्षा: 40 टन TNT equivalent ब्लास्ट
गति क्षमता: 100 किमी/घंटा तक ट्रेन
PM Modi द्वारा उद्घाटन
- 13 अगस्त 2022: पुल निर्माण पूरा
- 6 जून 2025: नरेंद्र मोदी ने इसे आधिकारिक रूप से उद्घाटित किया
- उद्घाटन के बाद पहले ट्रायल रन जून 2024 में सफल रहा
भारत में इंजीनियरिंग का प्रदर्शन
Chenab Bridge ने दिखाया कि IFS, IIT और DRDO की भारतीय इंजीनियरिंग टीम को किसी भी वैश्विक चुनौती का सामना करने की क्षमता है। यह न केवल एक पुल है, बल्कि हमारे देश का गर्व और तकनीक का एक उदाहरण है।